सार
केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा आतंकी संगठनों की सूची में शामिल किए गए 'सिख फॉर जस्टिस' के गुरपतवंत सिंह पन्नू ने शुक्रवार को पत्रकारों के फोन पर भेजे एक ऑडियो टेप में कहा, अब दिल्ली बस टर्मिनल की बारी है। वहां पर बम विस्फोट किया जाएगा।
विस्तार
पंजाब के लुधियाना कोर्ट परिसर में गुरुवार को हुए विस्फोट की जांच में कई एजेंसियां जुटी हैं। विस्फोट का पाकिस्तान एवं खालिस्तान कनेक्शन तलाशा जा रहा है। पिछले कई वर्षों से पंजाब में 'खालिस्तान समर्थक' सक्रिय हैं। जानकारों का कहना है कि पंजाब में सियासतदानों से 'शेख रशीद, कैप्टन अमरिंदर, जनरल बाजवा' का इशारा समझने में 'चूक' हुई है। पाकिस्तान के रेल मंत्री शेख रशीद अहमद ने दिसंबर 2019 में कहा था ऐतिहासिक करतारपुर कॉरिडोर शुरु करने का प्लान पाक सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने तैयार किया है। बाजवा का ऐसा सोचना है कि इससे भारत को नुकसान पहुंचाया जा सकता है।
तत्कालीन सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि यह कॉरिडोर सिखों के लिए एक सपना पूरा होने जैसा है, मगर इससे 'आईएसआई' के खतरे की अनदेखी नहीं हो सकती। कॉरिडोर शुरु होने से पहले पाकिस्तानी सेना का एक वीडिया आया, जिसमें प्रतिबंधित खालिस्तानी संगठन 'सिख फॉर जस्टिस' भी दिखा। कॉरिडोर के जरिए स्लीपर सेल, जनरल बाजवा का वह छिपा एजेंडा दुनिया के सामने आ गया। उसके बाद भी सूबे के कई सियासतदानों ने खालिस्तान को लेकर सॉफ्ट कॉर्नर दिखाया। अब आतंकी संगठन 'सिख फॉर जस्टिस' के संस्थापक गुरपतवंत सिंह पन्नू ने दिल्ली के बस अड्डे को निशाना बनाने की धमकी दे डाली है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा आतंकी संगठनों की सूची में शामिल किए गए 'सिख फॉर जस्टिस' के गुरपतवंत सिंह पन्नू ने शुक्रवार को पत्रकारों के फोन पर भेजे एक ऑडियो टेप में कहा, अब दिल्ली बस टर्मिनल की बारी है। वहां पर बम विस्फोट किया जाएगा। पन्नू ने यह भी कहा कि वह बुलेट की बजाए बैलेट में यकीन रखता है। एनआईए ने विभिन्न केसों में उसके कई गुर्गों के खिलाफ चार्जशीट पेश की है। बब्बर खालसा इंटरनेशनल, खालिस्तान टाइगर फोर्स और खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स सहित कई संगठन जांच एजेंसियों के रडार पर हैं।
पंजाब पुलिस के एक शीर्ष अधिकारी का कहना है कि राज्य में सोची समझी रणनीति के तहत हिंसा, बेअदबी, विस्फोट और ड्रग जैसे मामले सामने आ रहे हैं। इसमें पाकिस्तान की इंटेलिजेंस एजेंसी और खालिस्तानी संगठन शामिल हैं। पंजाब में इनके लोकल स्लीपर सेल, लोगों के बीच में मिले हुए हैं। इस मामले में राजनीतिक हस्तक्षेप से इंकार नहीं कर सकते।
शीर्ष अधिकारी का कहना है कि पिछले एक साल से ऐसे मामलों में जो नई बात देखने को मिली है, वो हथियारों को लेकर है। पहले राइफल या पिस्टल से हमला होता था। अब इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस 'आईईडी', टिफिन बम और दूसरे तरह के प्रेशर बमों का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके लिए आतंकियों या उनके आत्मघाती दस्तों को सामने आने की जरुरत नहीं पड़ती। वे किसी भी जगह पर आईईडी या प्रेशर बम लगा सकते हैं।
इस मामले में राज्य पुलिस और केंद्रीय एजेंसियां सचेत हैं। इस सवाल को शीर्ष अधिकारी ने टाल दिया कि जब पाकिस्तान के रेल मंत्री शेख रशीद अहमद ने करतारपुर कॉरिडोर की हकीकत का खुलासा किया तो प्रदेश के सभी राजनीतिक दलों को एक प्लेटफार्म पर आकर आईएसआई और खालिस्तानी साजिश को खत्म करने पर बात करनी चाहिए थी। चूंकि वह मुद्दा सीधे तौर पर धर्म से जुड़ा था तो इस पर ज्यादातर सियासतदानों ने चुप्पी साधने में ही अपनी भलाई समझी।
दिसंबर 2019 में पाकिस्तान के रेल मंत्री शेख राशिद ने दावा किया था कि ऐतिहासिक करतारपुर कॉरिडोर खोलने के पीछे पाक सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा का दिमाग है। उनके इस बयान से पंजाब में बड़ी हलचल मची थी। हालांकि तब भी सियासतदान भावी आतंकी खतरे से निपटने के लिए एक मंच पर आने को तैयार नहीं हुए। तब मुख्यमंत्री अमरेंद्र सिंह ने कहा था, अब इस्लामाबाद के नापाक इरादों पर कार्रवाई करने का समय है।
इससे पहले नवंबर 2019 में पाकिस्तानी सेना द्वारा एक वीडियो जारी किया गया। इसमें खालिस्तानी आतंकियों का जिक्र था। उसमें 'सिख फॉर जस्टिस' का पोस्टर भी दिख रहा था। उस वक्त कैप्टन अमरेंद्र ने कहा, इस वीडियो से आईएसआई के असल मंसूबों का पता चला है। शिरोमणि अकाली दल और उनकी पार्टी के कई नेता इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री के साथ नहीं आए।
पुलिस के शीर्ष अधिकारी के अनुसार, अभी जांच का इंतजार करें। हालांकि उन्होंने इशारा कर दिया कि ये सब घटनाएं यूं ही नहीं हो रही हैं। इनके पीछे किसी का मकसद है। सालभर में तीन दर्जन से ज्यादा ड्रोन आना, हथियारों व ड्रग की खेप बरामद होना और 'आईईडी' व टिफिन बम का पता लगना, ये बड़ी साजिश का हिस्सा हैं। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल और एनआईए ने अपने कई मामलों में साफतौर पर कहा है कि खालिस्तान जैसे संगठनों को आईएसआई और पाकिस्तानी सेना अपना मोहरा बना रही है।
पंजाब में बड़ी कुर्बानियों के बाद शांति लौटी थी, अब ये संगठन प्रदेश को दोबारा से उसी राह पर लाना चाहते हैं। सियासतदान, अलग मुद्दों पर आगे बढ़ रहे हैं। सीधे तौर पर कैप्टन अरमेंद्र सिंह को छोड़ दें तो बाकी नेता खालिस्तान पर बोलना पसंद नहीं करते। किसान आंदोलन में खालिस्तान समर्थकों की सार्वजनिक मौजूदगी देखी गई। उस वक्त भी कुछ नहीं हो सका। पुलिस अधिकारी बताते हैं कि आतंक का इलाज, सुरक्षा एजेंसियां तो अपने स्तर पर करेंगी ही, लेकिन सियासतदान इस मुद्दे पर एकमत हों तो आतंक से लड़ने की राह आसान हो जाएगी।